श्लोक

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श्लोक

मुख्य रूप से संस्कृत में दो पंक्तियों की रचना जो किसी गुण, कीर्ति, आह्वान, स्तुति या अन्य विशेषताओं का वर्णन करती हो उसे श्लोक कहते हैं। प्रथम श्लोक के रचयिता महर्षि वाल्मीकि हैं। एक बार वह तमसा के किनारे प्रेम में मग्न क्रौंच पक्षियों के एक जोड़े को देख रहे थे तभी एक बहेलिये ने उसमें से नर पक्षी को मार डाला। विलाप करती हुई मादा पक्षी को देखकर उनका ह्रदय द्रवित हो उठा और वहीँ पर उनके मुख से कुछ शब्द फूट पड़े जो कि श्लोक कहलाया:

मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः।
यत्क्रौंचमिथुनादेकम् अवधीः काममोहितम्॥
(हे निषाद, तुमने प्रेम मे मग्न क्रौंच पक्षी को मारा है। जाओ तुम्हें कभी भी प्रतिष्ठा की प्राप्ति नहीं हो पायेगी और तुम्हें भी वियोग झेलना पड़ेगा।)

तदोपरांत ब्रह्मा जी के आशीर्वाद से इसी श्लोक के तर्ज पर उन्होंने रामायण की रचना की।