यदि हिंदी के सुप्रसिद्ध विद्वान आचार्य रामचंद्र शुक्ल के शब्दों में कविता (कवि-कर्म) को परिभाषित किया जाय तो यह कवियों के “भावनाओं की प्रसव” है। परिस्थितियों की गहराई हो या विभिन्न रसों से ओत प्रोत मानवीय मूल्यों का वर्णन, कविता साहित्य की वह शैली है जो श्रोता के ह्रदय को छू कर उसके चित्त को भावात्मकता के भवसागर में डुबकी लगाने पर विवश कर देती है।