1979 में जन्मे दिनेश कुमार बिंद गाज़ीपुर (उत्तर प्रदेश) के निवासी हैं और इनका मानना है कि संगीत मनुष्य के जीवन का अभिन्न अंग है जिसके बिना सब कुछ निरर्थक है। दिनेश जी को गायन का शौक बचपन से ही है हालांकि स्टेज पर पहली बार पदार्पण इन्होंने 1996 में किया था। स्थानीय भाषाओँ में प्रचलित होते हुए फूहड़ता के धुर विरोधी दिनेश जी साफ़-सुथरे गीतों को बढ़ावा देने के पक्षधर हैं और साथ ही साथ चाहते हैं कि सामाजिक कुरीतियों व समस्याओं को गीत के माध्यम से जनमानस के बीच उतारकर उनसे लड़ा जाय। बी.ए. की पढाई के दौरान अपने कॉलेज में छात्र संघ के मंत्री रह चुके दिनेश जी समाज की निःस्वार्थ भाव से सेवा करना पसंद करते हैं तथा लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरुक बनाते हुए उनके अधिकारों की लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहते हैं। गायकी के सफर में इन्होंने तमाम उतार-चढ़ाव देखे हैं और उनमें से कुछ ऐसे प्रसंग हैं जो इनके मानसपटल पर अमिट छाप छोड़ गए हैं। एक बार उत्तर प्रदेश सरकार ने किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रतिभागी बनाते हुए इन्हें चेन्नई भेजा था जहाँ ये भोजपुरी गीत गाये थे। इन्होंने गाने तो गा दिए पर उसे समझने व