रे रोक युधिष्ठिर को न यहां

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की ओजस्वी कविता ‘मेरे नगपति मेरे विशाल’ वीर रस की असल ऊर्जा का स्पंदन है। इस कविता में कवि दिनकर हिमालय से गुजारिश कर रहे हैं, कि वे युधिष्ठिर को न रोकें, जबकि भीम व अर्जुन को लौटा दें, क्योंकि मौजूदा भारत में युधिष्ठिर की नहीं, बल्कि बलशाली भीम व अर्जुन की ही जरूरत है।