लीलाधर भगवान् श्री कृष्ण का जैसे ही नन्द बाबा के घर में आगमन होता है, चारों तरफ हर्ष एवं उत्सव का माहौल बन जाता है। पंडित उनके द्वार पर आकर कान्हा को देखते हैं और तेजस्वी भविष्य का आंकलन करते हुए उन्हें आशीर्वाद देते हैं। वहीं दूसरी तरफ, नन्द बाबा उपहार स्वरुप गायों को दिए जा रहे हैं जबकि माता यशोदा रुपये लुटाये जा रही हैं। चारों तरफ गीत-संगीत व नृत्य के चलते एक रमणीय दृश्य बन गया है।
सखी सब गावेंली सोहर
रतिया मनोहर हो
ललना यशोदा के भइलें
किशोर जी मुरली मनोहर हो
पंडित अइलें दुअरिया
विचारें सगुनिया
ललना जुग-जुग जियें
नंदलाल आशीष सब देवें हो
कोई लुटावे धेनु गइया
त कोई रुपइया हो
ललना कोई लुटावे ला मोहर
रतिया मनोहर हो
नन्द लुटावें धेनु गइया
त मइया रुपइया हो
ललना गोतिनी लुटावे लीं मोहर
रतिया मनोहर हो
अंगना में गावैं लीं गोतिनी
त नाचे फाल्गुनिया हो
ललना गुणीजन गावैं लें सोहर
रतिया मनोहर हो