भगवान श्री कृष्ण के जन्म के उपरांत वृंदावन और मथुरा से लेकर गोकुल तक, चारों तरफ हर्ष छाया हुआ है। इंसानों की बात छोड़ दी जाए तो इस अवसर पर पशु-पक्षी और प्रकृति भी प्रफुल्लित है। यदि आपके गाँव-मोहल्ले, पास-पड़ोस में जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जा रहा हो अथवा आप स्वयं अपने घर में ही झांकी तैयार कर रहे हों तब दिलीप प्रजापति का यह भोजपुरी सोहर वातावरण को और भी ज्यादा आनंदमय बना देगा।
कहंवा जे बोले कोयलरिया
त कहंवा जे मोर बोले हो
अरे हो कहंवा जे बोले सहरसवा
महल उठे सोहर हो
वृंदावन मा बोले कोयलरिया
त मथुरा जे मोर बोले हो
अरे हो गोकुल में बोले सहरसवा
महल उठे सोहर हो
केहि गोदी जनमे ललनवा
हॉं जनमे ललनवा
त केहि खुसी मनवा हो
अरे हो केहि घर बाजे ला बजनवा
महल उठे सोहर हो
देवकी गोदी जनमे ललनवा
हॉं जनमे ललनवा
त बसु खुसी मनवा हो
अरे हो नन्द घरे बाजे ला बजनवा
महल उठे सोहर हो
के हो लिखे गितिया सुहावन
लिखे सुहावन के हो सजावन हो
अरे हो के हो कान्हा के सोहरिया
महल उठे सोहर हो
श्यामा लिखें गितिया सुहावन
कमलेश सजावन हो
अरे हो गावे ला दिलीपवा सोहरिया
महल उठे सोहर हो