पूजा निषाद और आदर्श आदी के सुनहरे स्वर से सजा यह भोजपुरी गीत शिव जी और गौरी माता के विवाह का वर्णन करता है। गाय के गोबर से आंगन लीपकर और चौका पूरकर महादेव की विधिवत पूजा-अर्चना होगी। पीढ़ा बनाकर बाबा भोलेनाथ को उसी पर बैठाया जायेगा और उन्हीं के नाम का सिन्दूर गौरी माता के ललाट पर चमकेगा। जब तक विवाह संपन्न नहीं हुआ है, माता पार्वती के पास कुछ नहीं होगा मगर विवाह होते ही उनके पास सब कुछ आ जायेगा क्योंकि साक्षात् भगवान शंकर उनके पति बनने वाले हैं।