छोटे बच्चों को कुछ खिलाना हो तो कितनी मशक्कत करनी पड़ती है इस बात का अंदाजा एक माता-पिता आसानी से लगा सकते हैं। ये सोहर इन्हीं परिस्थितियों में नटखट बाल कन्हैया और यशोदा माता को बखूभी दर्शाता है कि किस प्रकार से मईया अपने कान्हा को सोने की कटोरी में दौड़-भाग कर और चंदा को बुलाते हुए दूध-भात खिलाती हैं। हाथ में कटोरी लिए हुए मईया गीत गाते हुए चंदा को अपने आँगन में बुलाती हैं क्योंकि कान्हा को उनके साथ खेलना है।
सोने के कटोरिया में दूध भात गोदी में
कन्हैया पुत गोदी में कन्हैया पुत हो
यशोदा घूमी घूमी कान्हा के खियावेली
चंदा के बोलावेली हो यशोदा
घूमी घूमी कान्हा के खियावेली
चंदा के बोलावेली हो
आरे आव चंदा मामा पारे आव
नदिया किनारे आव हो…..
आरे आव चंदा मामा पारे आव
नदिया किनारे आव हो
चंदा आव न अंगना हमार
कन्हैया मोरा खेलस हो, ए चंदा
आव न अंगना हमार कन्हैया मोरा खेलस हो
सोने के थरीयावा बनाई देबो
जलवे भराई देब हो….
सोने के थरीयावा बनाई देबो
जलवे भराई देब हो
चंदा आव न अंगना हमार
कन्हैया मोरा खेलस हो, ए चंदा
आव न अंगना हमार कन्हैया मोरा खेलस हो
सोने के कटोरिया में दूध भात गोदी में
कन्हैया पुत गोदी में कन्हैया पुत हो
यशोदा घूमी घूमी कान्हा के खियावेली
चंदा के बोलावेली हो यशोदा
घूमी घूमी कान्हा के खियावेली
चंदा के बोलावेली हो