जब सिया बेटी अवधपुर को विदा हुई तो पिता राजा जनक की आंखों में आंसू आ गए। माता सुनैना का भी रो-रोकर बुरा हाल है। माता-पिता बहुत ही दुखी हैं और उन्हें लग रहा है कि समय बहुत जल्दी बीत रहा है। लोकगायिका कामिनी झा के स्वर में आप इस समदाओन गीत को सुनें!